“बस गए बस गए बस गए राम…” एक अत्यंत मधुर और श्रद्धा से भरपूर भजन है, जो भगवान श्रीराम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को सहज और भावनात्मक रूप में प्रस्तुत करता है। यह भजन केवल भक्ति की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि प्रभु राम के चरित्र, त्याग, मर्यादा और आदर्शों की झलक है। राजा दशरथ के पुत्र से लेकर वनवास, रावण वध और सीता माता की खोज तक — हर पद में प्रभु राम की महिमा गूंजती है। भजन की पंक्तियाँ सरल होते हुए भी हृदय को छूने वाली हैं।
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram Lyrics in Hindi
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- राजा दशरथ के चार पुतर थे
भरत, शत्रुघ्न, लक्ष्मण, राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- मिथिलापुरी में धनुष तोड़ा
जनकनंदिनी से नाता जोड़ा…
कितनी सुंदर जोड़ी मेरे राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- राजतिलक की हुई तैयारी
माता कैकयी ने बात बिगाड़ी…
चौदह वर्ष वन को गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- ताड़का वन में ताड़का मारी
गौतम नारी अहिल्या तारी…
वो भी बोले जय सियाराम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- पंचवटी में कुटिया बनाई
सूर्पनखा की नाक उड़ाई…
खर दूषण को मारे मेरे राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- साधु के वेश में रावण आया
सीता मां को हर ले आया…
कुटिया सूनी पड़ी मेरे राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
- वन वन ढूंढा, वन वन छाना
वहां पर मिल गए वीर हनुमाना…
बिगड़े बन गए सारे काम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
बस गए बस गए बस गए राम…
मेरे मन बस गए सीताराम…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram Lyrics in English
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Raja Dashrath ke chaar putar the
Bharat, Shatrughna, Lakshman, Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Mithilapuri mein dhanush toda
Janaknandini se naata joda…
Kitni sundar jodi mere Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Rajatilak ki hui taiyari
Mata Kaikeyi ne baat bigadi…
Chaudah varsh van ko gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Tadka van mein Tadka mari
Gautam naari Ahilya tari…
Woh bhi bole Jai Sitaram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Panchvati mein kutiya banayi
Soorpanakha ki naak udai…
Khar dooshan ko mare mere Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Sadhu ke vesh mein Ravan aaya
Sita maa ko har le aaya…
Kutiya sooni padi mere Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Van van dhoonda, van van chhana
Wahan par mil gaye veer Hanumana…
Bigde ban gaye saare kaam…
Mere man bas gaye Sitaram…
Bas gaye bas gaye bas gaye Ram…
Mere man bas gaye Sitaram…
Lyrics Explaination
यह भजन “बस गए बस गए बस गए राम…” भगवान श्रीराम की जीवन गाथा को सरल, भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण रूप में प्रस्तुत करता है। आइए इसके प्रत्येक चरण का भावार्थ (meaning in Hindi) लाइन दर लाइन समझते हैं:
1. बस गए बस गए बस गए राम…
भावार्थ:
भगवान राम मेरे हृदय में समा गए हैं।
भक्त अपने मन में राम के स्थायी वास की अनुभूति करता है।
मेरे मन बस गए सीताराम…
भावार्थ:
मेरे मन में प्रभु श्रीराम और सीता माता निवास कर गए हैं।
यह प्रेम, भक्ति और समर्पण का संकेत है।
राजा दशरथ के चार पुतर थे — भरत, शत्रुघ्न, लक्ष्मण, राम…
भावार्थ:
रामायण की शुरुआत, राजा दशरथ के चार पुत्रों का उल्लेख — यह भजन श्रीराम के जीवन की कथा बताने लगता है।
मिथिलापुरी में धनुष तोड़ा, जनकनंदिनी से नाता जोड़ा…
भावार्थ:
श्रीराम ने जनकपुरी (मिथिला) में शिवजी का धनुष तोड़ा और सीता जी से विवाह किया।
यह स्वयंवर का दृश्य है।
कितनी सुंदर जोड़ी मेरे राम…
भावार्थ:
सीता और राम की जोड़ी को सुंदर और दिव्य बताया गया है।
राजतिलक की हुई तैयारी, माता कैकयी ने बात बिगाड़ी…
भावार्थ:
जब राम का राजतिलक होना था, तभी कैकयी ने उन्हें वनवास भेजने की मांग कर दी।
चौदह वर्ष वन को गए राम…
भावार्थ:
माता कैकयी की जिद के कारण श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मिला।
ताड़का वन में ताड़का मारी, गौतम नारी अहिल्या तारी…
भावार्थ:
वन में राक्षसी ताड़का का वध किया और श्रापित अहिल्या को मुक्त किया।
वो भी बोले जय सियाराम…
भावार्थ:
अहिल्या भी राम का नाम लेकर जय-जयकार करने लगीं।
पंचवटी में कुटिया बनाई, सूर्पनखा की नाक उड़ाई…
भावार्थ:
वनवास के दौरान पंचवटी में राम-लक्ष्मण-सीता ने आश्रम बनाया, और सूर्पणखा द्वारा उत्पात मचाने पर लक्ष्मण ने उसकी नाक काटी।
खर दूषण को मारे मेरे राम…
भावार्थ:
राम ने राक्षस खर-दूषण का वध किया।
साधु के वेश में रावण आया, सीता मां को हर ले आया…
भावार्थ:
रावण साधु का वेश धारण करके आया और सीता माता का हरण कर लंका ले गया।
कुटिया सूनी पड़ी मेरे राम…
भावार्थ:
सीता जी के बिना कुटिया सूनी हो गई, श्रीराम शोकमग्न हुए।
वन वन ढूंढा, वन वन छाना, वहां पर मिल गए वीर हनुमाना…
भावार्थ:
श्रीराम ने सीता की खोज में पूरा वन छान मारा और उन्हें वीर भक्त हनुमान मिले।
बिगड़े बन गए सारे काम…
भावार्थ:
हनुमान जी के मिलने से राम के सभी संकट दूर होने लगे।
🔚 निष्कर्ष (Summary):
यह भजन भक्त की उस भावावस्था को दर्शाता है जिसमें वह प्रभु श्रीराम के जीवन की लीलाओं को स्मरण कर, उन्हें अपने हृदय में बसा लेता है। भजन में कथा है, श्रद्धा है और प्रेम है।
Conclusion (निष्कर्ष):
इस भजन का हर चरण हमें प्रभु श्रीराम के दिव्य जीवन और संघर्षों की याद दिलाता है। उनकी मर्यादा, उनकी भक्ति के प्रति अडिग विश्वास, और उनके कर्मों की प्रेरणा — यही कारण है कि “मेरे मन बस गए सीताराम” कहने का भाव हर भक्त के भीतर स्वाभाविक रूप से उठता है। राम सिर्फ त्रेतायुग के नायक नहीं, बल्कि आज भी हर हृदय के नायक हैं। यह भजन मन में राम को बसाने का माध्यम बन जाता है — एक ऐसा प्रेम जो जन्मों-जन्मों तक बना रहता है।