Sher sawari chadke o maiya Lyrics in hindi
शेर सवारी चढ़के ओ मईया,
शेर सवारी चढ़के ओ मईया,
अदभुत रूप धराया,
पर्वत डेरा लाया, ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया॥
किने वीटा मईया तेरा भवन बनाया,
किने कलश लगाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया॥
पाँजे वीटा पांडवे मईया, भवन बनाया,
कृष्णा ने कलश लगाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया॥
सोने की गड़वी में गंगा जल पानी,
स्नान कराने आया,
पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया॥
धिस घिस चनणों में भरुआ कटोरी,
तिलक लगाने आया,
पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया॥
नंगे-नंगे पैर मईया अकबर आया,
सोने दा छतर चढ़ाया,
पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया,
ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया॥
Sher sawari chadke o maiya Lyrics in English
Sher sawari chadke o Maiya,
Sher sawari chadke o Maiya,
Adbhut roop dharaya,
Parvat dera laya, o maa ne parvat dera laya.
Kine veeta Maiya tera bhavan banaya,
Kine kalash lagaya,
O maa ne parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya.
Paanje veeta Pandve Maiya, bhavan banaya,
Krishna ne kalash lagaya,
O maa ne parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya.
Sone ki gadvi mein Ganga jal pani,
Snaan karane aaya,
Parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya.
Dhish ghish channo mein bharua katori,
Tilak lagane aaya,
Parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya.
Nange-nange pair Maiya Akbar aaya,
Sone da chhatar chadhaya,
Parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya,
O maa ne parvat dera laya.
Lyrics Explaination
भजन “शेर सवारी चढ़के ओ मईया, ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया” एक भक्तिपूर्ण स्तुति है जो माँ दुर्गा की शक्ति, महिमा और भव्य आगमन का वर्णन करती है। नीचे इस भजन की लाइन दर लाइन व्याख्या (line-by-line explanation in Hindi) दी गई है:
🌸 शेर सवारी चढ़के ओ मईया, अदभुत रूप धराया, पर्वत डेरा लाया
माँ दुर्गा शेर पर सवार होकर अपने दिव्य और अद्भुत रूप में प्रकट होती हैं। उन्होंने पृथ्वी पर पहाड़ (पर्वत) पर आकर अपना डेरा (आवास) बनाया, जो कि शक्तिपीठों का प्रतीक है।
किने वीटा मईया तेरा भवन बनाया, किने कलश लगाया
यह प्रश्नात्मक पंक्ति है — “किसने तेरे भवन का निर्माण किया, माँ?” और “किसने उसमें पूजा का कलश स्थापित किया?” — माँ के मंदिर की महिमा और निर्माण पर प्रश्न करते हुए भक्त माँ की महिमा को गाते हैं।
पाँजे वीटा पांडवे मईया भवन बनाया, कृष्णा ने कलश लगाया
उत्तर में बताया गया कि पाँचों पांडवों ने माँ का मंदिर (भवन) बनाया और स्वयं श्रीकृष्ण ने उस भवन में पूजा का कलश स्थापित किया — यह पंक्ति माँ की पूजा में पांडवों और कृष्ण की आस्था को दर्शाती है।
सोने की गड़वी में गंगा जल पानी, स्नान कराने आया
यह पंक्ति बताती है कि माँ के अभिषेक (स्नान) के लिए गंगा जल सोने के पात्र (गड़वी) में लाया गया। इससे माँ के दिव्य स्वरूप और महापूजन की महत्ता प्रकट होती है।
धिस घिस चनणों में भरुआ कटोरी, तिलक लगाने आया
यहां कहा गया है कि माँ के चरणों में तिलक करने के लिए एक विशेष कटोरी (भरुआ कटोरी) से सुगंधित चंदन घिसा गया, जो उनकी पूजा में उपयोग होता है।
नंगे-नंगे पैर मईया अकबर आया, सोने दा छतर चढ़ाया
यह एक ऐतिहासिक या सांकेतिक प्रसंग है, जहाँ बताया गया कि सम्राट अकबर नंगे पांव माँ के दरबार में आया और माँ पर सोने का छत्र (छाया देने वाला मुकुट) चढ़ाया। यह पंक्ति यह दर्शाती है कि माँ की भक्ति से धर्म, जाति, वर्ग सब ऊपर उठ जाते हैं।
पर्वत डेरा लाया, ओ माँ ने पर्वत डेरा लाया
हर अंतरे का निष्कर्ष यही है कि माँ ने पर्वत पर आकर डेरा लगाया — यह संदेश है कि माँ स्वयं धरती पर आई हैं अपने भक्तों के पास, जिससे भक्त आनंद और भक्ति से भर जाते हैं।
🌺 निष्कर्ष
यह भजन माँ की शक्ति, भव्यता, दिव्यता और भक्तों के प्रति स्नेह को दर्शाता है। यह बताता है कि माँ केवल एक देवी नहीं, बल्कि सभी की रक्षक हैं — चाहे वो पांडव हों, श्रीकृष्ण हों या अकबर। उनका मंदिर, उनका आगमन और उनकी पूजा सृष्टि के हर कोने से जुड़ी हुई है। इस भजन में इतिहास, भक्ति और चमत्कार — तीनों का सुंदर संगम देखने को मिलता है।
🌸 निष्कर्ष (Conclusion)
भजन “शेर सवारी चढ़के ओ मईया” माँ दुर्गा के दिव्य रूप, शक्ति और भक्तों के प्रति उनके प्रेम और करुणा का सुंदर चित्रण करता है। इसमें माँ के पर्वत पर आगमन, उनके मंदिर के निर्माण, भव्य पूजा की तैयारियों और विभिन्न भक्तों के समर्पण का भावनात्मक वर्णन किया गया है।
इस भजन के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि माँ केवल एक शक्ति का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वह हर भक्त की पुकार सुनने वाली, हर वर्ग और धर्म से जुड़ी हुई करुणामयी माता हैं। चाहे पांडव हों, श्रीकृष्ण हों या अकबर जैसे ऐतिहासिक पात्र — सबने माँ की शरण में आकर अपनी श्रद्धा अर्पित की।
यह भजन हमें यह भी सिखाता है कि जब हम सच्चे मन से माँ को याद करते हैं, तो वह स्वयं हमारे पास आती हैं, हमारे जीवन में सुख, शांति और सुरक्षा का डेरा लगाती हैं। माँ के पर्वत पर डेरा लगाने की कथा भक्त के मन में विश्वास और आस्था की ज्योति जलाती है।
अंततः, यह भजन माँ के प्रति श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का ऐसा भाव पैदा करता है जो हर भक्त को माँ की शरण में स्थिर कर देता है — माँ का डेरा जहाँ लगता है, वहीं स्वर्ग उतर आता है।